हर चीज़ तौलते हैं वो बाज़ार की तरह
उनकी दुआ सलाम है व्यापार की तरह
मुद्दे की बात पहले जहाँ थी वहीं रही
आए भी वो गये भी वो अखबार की तरह
ख़ुशियाँ हमें तो सिर्फ ख़्याली पुलाव हैं
मुफ़लिस के घर में ईद के त्योहार की तरह
उनकी दुआ सलाम है व्यापार की तरह
मुद्दे की बात पहले जहाँ थी वहीं रही
आए भी वो गये भी वो अखबार की तरह
ख़ुशियाँ हमें तो सिर्फ ख़्याली पुलाव हैं
मुफ़लिस के घर में ईद के त्योहार की तरह
यूँ सरसरी निगाह से देखा न कीजिये
पढ़िए न मुझको मांग के अखबार की तरह
चट्टान बन के सामने आए थे जो कभी
गिरने लगे वो रेत की दीवार की तरह
गिरने लगे वो रेत की दीवार की तरह
अपना गुरूर छोड़ के मिलते हैं जब 'मिज़ाज'
उनका वजूद लगता है गुलज़ार की तरह
उनका वजूद लगता है गुलज़ार की तरह
No comments:
Post a Comment