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Saturday, May 28, 2011
Tuesday, May 10, 2011
अमेरिका विरुद्ध पाकिस्तान को समर्पित चार पंक्तियाँ
हज़ार काँटों के बदले गुलाब देना पड़ा
सवाल तल्ख़ था , मीठा जवाब देना पड़ा
जो ख़ुद फ़साद के रस्ते पे चल रहा है ' मिज़ाज '
- अशोक मिज़ाज
सवाल तल्ख़ था , मीठा जवाब देना पड़ा
जो ख़ुद फ़साद के रस्ते पे चल रहा है ' मिज़ाज '
उसी को अम्नो-अमाँ का ख़िताब देना पड़ा .
- अशोक मिज़ाज
Saturday, May 7, 2011
ghazal
मई गुज़ार के जल्दी से जून आ जाये
हवाएं चलने लगें मानसून आ जाये
तुम्हारी सोच हमेशा उदास रहती है
बताओ कैसे रगों में जूनून आ जाये
मैं शेर कह के रिसालों में भेज देता हूँ
किसी के काम तो आखिर ये खून आ जाये
हमारे हाँथ भी इक - आध नून आ जाये
अगर सुकून को पहचान लो ' अशोक मिज़ाज '
कसम खुदा की उसी दम सुकून आ जाये
- अशोक मिज़ाज
रफ़्तार ही पहचान है
फूल गिर जायेंगे सब पत्ते जुदा हो जायेंगे
जब खिज़ायें आएँगी तो पेड़ क्या हो जायेंगे
इस मशीनी दौर में रफ़्तार ही पहचान है
धीरे धीरे जो चलेंगे गुमशुदा हो जायेंगे
चंद बादल क्या हुए इतना अँधेरा हो गया
इस कदर बढ़ते धुएं में शहर क्या हो जायेंगे
अब किसी मरहम का होता ही नहीं इन पर असर
एक दिन ये ज़ख्म सारे ला दावा हो जायेंगे
एक दिन ये ज़ख्म सारे ला दावा हो जायेंगे
कुछ हकीक़त और भी परदे के पीछे है 'मिज़ाज'
मैं बता दूंगा तो सब के सब खफा हो जायेंगे
मातृ दिवस पर मेरी और से मेरी चार पंक्तियाँ
शाद आबाद अगर हूँ तो बदौलत उसकी
माँ ने मेरे लिए हर वक़्त दुआएं की हैं
तुने माँओं की दुआएं तो सुनी हैं मौला
आज माँ के लिए बेटे ने दुआएं की हैं
- अशोक मिज़ाज
माँ ने मेरे लिए हर वक़्त दुआएं की हैं
तुने माँओं की दुआएं तो सुनी हैं मौला
आज माँ के लिए बेटे ने दुआएं की हैं
- अशोक मिज़ाज
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