Sunday, August 21, 2011

मेहरबानी चाहिए


एक राजा चाहिए और एक रानी चाहिए
कहने सुनने के लिए कोई कहानी चाहिए

खींच  कर नदियों का पानी सब समंदर पी गए
चीखती है प्यास हर सू हम को पानी चाहिये

हो गए काग़ज़ के टुकड़े फूल भी मुरझा गए
जिसको सदियाँ याद रक्खें वो निशानी चाहिए

आदमी को आदमी जैसा बनाने के लिए
इस ज़मीं को फिर फ़रिश्ता आसमानी चाहिए

इश्क में काफ़ी नहीं है आशिक़ी का ये हुनर
इसमें थोड़ी हुस्न की भी मेहरबानी चाहिए

मीरो-ग़ालिब , ज़ोको-मोमिन, फैज़ो नासिख़ या फ़िराक़
इनको पढ़ने के लिए उर्दू भी आनी चाहिए

इसलिए मुझको ग़ज़ल से प्यार है कि सुन 'मिज़ाज'
दिल लगाने के लिए सूरत सुहानी चाहिए

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