रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे
फल आये हैं तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे
कितना गुरुर था उसे अपनी उड़ान पर
फल आये हैं तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे
कितना गुरुर था उसे अपनी उड़ान पर
उसको ख़बर न थी कि मेरे पर भी आयेंगे
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो
इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे
थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो 'मिज़ाज'
सीधे चले तो पींठ में खंज़र भी आयेंगे
very nice
ReplyDeletebahut hi umda rachna hai ye,aap ko bahut bahut bdhaai....
ReplyDeletekhoobsoorat ghazal Ashok ji;achchhe mazmoon baandhe hain;
ReplyDeletealbatta,doosre sher ke pehle misre mein se "ho" nikaal dijiye