ज़िन्दगी वीरान है गुलज़ार करना है
उम्र भर इक बेवफ़ा से प्यार करना है
काग़ज़ों के भी कलेजे फट गए आख़िर
अब कलम में और कितनी धार करना है
ये ग़ज़ल इक लम्बी दूरी की मिसाइल है
इसका मकसद नफ़रतों पे वार करना है
एक दुल्हन जिस तरह सजती सँवरती है
हर ग़ज़ल का इस तरह श्रृंगार करना है
इस नगर के आदमी भी पत्थरों से हैं
और हमें ज़ज्बात का इज़हार करना है
उम्र भर इक बेवफ़ा से प्यार करना है
काग़ज़ों के भी कलेजे फट गए आख़िर
अब कलम में और कितनी धार करना है
ये ग़ज़ल इक लम्बी दूरी की मिसाइल है
इसका मकसद नफ़रतों पे वार करना है
एक दुल्हन जिस तरह सजती सँवरती है
हर ग़ज़ल का इस तरह श्रृंगार करना है
इस नगर के आदमी भी पत्थरों से हैं
और हमें ज़ज्बात का इज़हार करना है
No comments:
Post a Comment