बाग़ में नागफ़नी का भी शज़र लगता है
खूबसूरत हो अगर ऐब हुनर लगता है
कितनी चीज़ों की कमी अब भी नज़र आती है
जब भी देखूं तो अधूरा सा ये घर लगता है
अब घरों में ही दुकानों की सजावट हैं यहाँ
अब किसे फ़िक्र कि बाज़ार किधर लगता है
मुद्दतों पहले कोई हादसा गुज़रा था यहाँ
आज तक उसका फिजाओं में असर लगता है
कोई हलके से भी छू ले तो ये रिसता है 'मिज़ाज'
भर न पायेगा कभी ज़ख्मे जिगर लगता है
खूबसूरत हो अगर ऐब हुनर लगता है
कितनी चीज़ों की कमी अब भी नज़र आती है
जब भी देखूं तो अधूरा सा ये घर लगता है
अब घरों में ही दुकानों की सजावट हैं यहाँ
अब किसे फ़िक्र कि बाज़ार किधर लगता है
मुद्दतों पहले कोई हादसा गुज़रा था यहाँ
आज तक उसका फिजाओं में असर लगता है
कोई हलके से भी छू ले तो ये रिसता है 'मिज़ाज'
भर न पायेगा कभी ज़ख्मे जिगर लगता है
bahut sundar
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