Sunday, August 21, 2011

नया कह सकें जिसे


इक्कीसवीं सदी की अदा कह सकें जिसे
ऐसा भी कुछ लिखो कि नया कह सकें जिसे

आधी सदी के बाद ग़रीबों को क्या मिला
आज़दिये-वतन का सिला कह सकें जिसे

घुलने लगा है ज़हरे-सियासत फ़ज़ाओं में
अब वो हवा नहीं है, हवा कह सकें जिसे

हमने वतन के साथ बड़ी बेवफ़ाई की
तुमने भी क्या किया कि वफ़ा कह सकें जिसे

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