फूल गिर जायेंगे सब पत्ते जुदा हो जायेंगे
जब खिज़ायें आएँगी तो पेड़ क्या हो जायेंगे
इस मशीनी दौर में रफ़्तार ही पहचान है
धीरे धीरे जो चलेंगे गुमशुदा हो जायेंगे
चंद बादल क्या हुए इतना अँधेरा हो गया
इस कदर बढ़ते धुएं में शहर क्या हो जायेंगे
अब किसी मरहम का होता ही नहीं इन पर असर
एक दिन ये ज़ख्म सारे लादवा हो जायेंगे
एक दिन ये ज़ख्म सारे लादवा हो जायेंगे
कुछ हकीक़त और भी परदे के पीछे है 'मिज़ाज'
मैं बता दूंगा तो सब के सब खफा हो जायेंगे
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