इक तीर एक पक्षी के दिल में अटक गया
निकली जो मुंह से आह तो पत्थर चटक गया
कहते हैं ये ग़ज़ल है उसी दर्द की कराह
जंगल की झाड़ियों में हिरन जब अटक गया
दुनिया में सबसे ऊँचा है लफ़्ज़ों का ये पहाड़
कोशिश हज़ार करके कलमकार थक गया
कोशिश भी तोड़ने की बहुत की गयी 'मिज़ाज'
लेकिन ये क्या कि शीशे से शीशा चिपक गया
निकली जो मुंह से आह तो पत्थर चटक गया
कहते हैं ये ग़ज़ल है उसी दर्द की कराह
जंगल की झाड़ियों में हिरन जब अटक गया
दुनिया में सबसे ऊँचा है लफ़्ज़ों का ये पहाड़
कोशिश हज़ार करके कलमकार थक गया
कोशिश भी तोड़ने की बहुत की गयी 'मिज़ाज'
लेकिन ये क्या कि शीशे से शीशा चिपक गया
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